5 Easy Facts About Shodashi Described
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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥
The worship of such deities follows a specific sequence called Kaadi, Hadi, and Saadi, with Every single goddess linked to a selected approach to devotion and spiritual follow.
हस्ते पङ्केरुहाभे सरससरसिजं बिभ्रती लोकमाता
Charitable functions like donating food items and clothes for the needy are also integral to the worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate facet of the divine.
Within the spiritual journey of Hinduism, Goddess Shodashi is revered as being a pivotal deity in guiding devotees in direction of Moksha, the final word liberation within the cycle of delivery and Demise.
उत्तीर्णाख्याभिरुपास्य पाति शुभदे सर्वार्थ-सिद्धि-प्रदे ।
सर्वज्ञादिभिरिनदु-कान्ति-धवला कालाभिरारक्षिते
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra makes a spiritual shield around devotees, safeguarding them from negativity and unsafe influences. This mantra acts as being a source of protection, encouraging folks keep a good surroundings absolutely free from psychological and spiritual disturbances.
हन्यादामूलमस्मत्कलुषभरमुमा भुक्तिमुक्तिप्रदात्री ॥१३॥
देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
करोड़ों सूर्य ग्रहण तुल्य फलदायक अर्धोदय योग क्या है ?
श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक read more स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥